सामाजिक मर्यादाओं को पालना हर समाज के लिए क्यों आवश्यक है?

 

किसी समाज को भलि-भांति व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन समाज की हर इकाई के लिए आवश्यक होता है। इनमें से कुछ नियम, तो समाज के बड़े-बूढ़ों ने बनाए होते हैं, और शेष नियम समय के साथ-साथ विकसित होते जाते हैं। इन नियमों का परम्परागत रूप से पालन होने के कारण, ये संबन्धित समाज की मर्यादाएं कही जाने लगती हैं। ये मर्यादाएं इतनी विस्तृत व विशाल होती हैं कि समाज का कोई भी क्षेत्र इनसे अछूता नहीं होता। संबन्धित समाज के ठेकेदार, ऐसे किसी भी व्यवहार को अनुचित ठहराते हैं, जिससे उस समाज के व्यवस्थित रूप से चलने में बाधा आती हो। इसका अर्थ यह हुआ कि किसी समाज की मर्यादाएं सही भी हो सकती हैं, और गलत भी। अब सही और गलत का निर्णय कैसे हो? जो भी सामाजिक मर्यादाएं वेद के अनुरूप होंगी, उन्हें सही कहा जाएगा, और जो सामाजिक मर्यादाएं वेद के अनूरूप नहीं होगी, उन्हें गलत कहा जाएगा। गलत मर्यादायों का पालन कभी भी समाज के लिए लाभप्रद नहीं होता। इसलिए, हमें समाज की ठीक मर्यादायों का ही पालन करना चाहिए।

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