मांस व अण्डा क्यों अभक्ष्य हैं?

 

बिना किसी प्राणी की हिंसा किए हमें मांस प्राप्त नहीं होता। सामान्यतः शाकाहारी पशुओं से ही मांस प्राप्त किया जाता है और लगभग 100 किलो शाक खाने पर ही एक किलो मांस बन पाता है। मनुष्य शरीर की रचना की दृष्टि से भी, मनुष्य को वनस्पतियां खाना ही उसके स्वास्थ्य के लिए उचित है। मांस खाने वाला व्यक्ति भी हिंसा का उतना ही भागीदार होता है, जितना कि प्राणी को मारने, मांस बेचने, मांस खरीदने व मांस पकाने वाला व्यक्ति। क्योंकि अहिंसा धर्म का मूल तत्व है, मांस खाने वाला व्यक्ति कभी भी धार्मिक नहीं हो सकता।

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